बनारस। काशी की वैद्य परम्परा के शिखर पुरुष और विश्व के प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य राजवैद्य पंडित शिव कुमार शास्त्री का शनिवार शाम 86 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। दलाइनामा, इंदिरा गांधी, राजीव गाँधी, मुलायम सिंह यादव, मशहूर अभिनेत्री वैजंतीमाला, ठुमरी गायिका स्व. गिरिजा देवी सहित अनेकों हस्तियों का राजवैद्य पंडित शिव कुमार शास्त्री जी ने सफल इलाज किया था।
राजवैद्य पंडित शिव कुमार शास्त्री का जन्म 4 सितंबर 1932 को हुआ था। उनकी ख्याति विश्व के प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य के साथ एक कुशल संगीतकार व संगीतज्ञ के रूप में भी थी। वह पिछले 1 सप्ताह से अस्वस्थ चल रहे थे। आज उन्होंने शाम 4 बजे अपने सूड़िया स्थित निवास पर अंतिम सांस ली।
उनके निधन का समाचार सुनते ही वाराणसी सहित देश तथा विदेशों में बसे उन्हें जानने वालों तथा उनके शिष्यों में शोक की लहर दौड़ गयी। काशी के तमाम गणमान्य लोग राजवैद्य के निधन की जानकारी होते ही उनके धन्वंतरि निवास पर अंतिम दर्शन हेतु एकत्रित होने लगे।
बताते हैं कि वाराणसी के लोकप्रिय और खांटी आधुनिक इतिहास के ये अंतिम पुरोधा थे, जिनका लगभग 86 वर्ष की अवस्था मे शनिवार 8 दिसंबर 2018 को निधन हो गया। स्वतंत्रता आंदोलन के समय बहुत से क्रांतिकारी इनके घर मे ही छिपा करते थे। आयुर्वेदाचार्य के रूप में इनकी ख्याति इस कदर थी कि कई पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक अपने रोगों में इनसे सलाह लेते व इनकी दवाओं को प्राथमिकता देते थे। उनके निवास पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह अपने कार्यकाल के दौरान भी आ चुके हैं। साथ ही विभिन्न देशों के राजदूत इनकी ख्याति को जानकर संगीत एवं आयुर्वेदिक इलाज के लिए हमेशा से आते रहे हैं।
शास्त्री जी का परिवार पिछली नौ पीढ़ियों से और तकरीबन 250 सालों से आयुर्वेद कि प्राचीन परंपरा को संभाले हुए हुए। आधुनिक युग में भी ये परिवार आयुर्वेद को गति प्रदान किये हुए है। इस परिवार की ख्याति इतनी हैं कि सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव भी बीमार पड़ने पर राजवैध पंडित शिवकुमार शास्त्री से सलाह ही सलाह मशविरा लेते थे। इतना ही नहीं मुलायम सिंह का पूरा परिवार राजवैध जी के हमेशा संपर्क में रहता है।
अस्सी के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के लिये खुद मुलायम सिंह यादव इस परिवार में औषधि लेने आते थे। यहीं से मुलायम सिंह यादव और वैद्य जी के परिवार में घनिष्ठता बढ़ती गयी, जो आज भी कायम है।
बीएचयू से अपनी शिक्षा दीक्षा पूरी की साथ ही अन्तरराष्ट्रीय स्तर के सितार वादक भी रहे। राजवैद्य शास्त्री जी ने 1934 में ड्रामे का रिहर्सल भी किया करते थे। 1952 में पहली बार उन्होंने ड्रामा प्ले किया। अद्भुत व्यक्तित्व के धनी पं शिव कुमार शास्त्री ने दो दर्जन से ऊपर ऐतिहासिक शो किया, जिसे देखने विदेशों तक से लोग आया करते थे।
यही नहीं बैटमिंटन, हाकी, लॉन टेनिस जैसे खेलों में भी उन्हें महारत हासिल थी। साथ ही वे क्रिकेट में अपने समय में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के कप्तान भी रहे।